आजकल बाजार में कई तरह के मानव निर्मित लूफा उपलब्ध है। जो लोगों के बीच में काफी लोकप्रिय हो रहा है। लेकिन एक बार फिर लोग प्रकृति की तरफ आकर्षित हो रहे हैं और प्राकृतिक चीजों के इस्तेमाल पर जोर दे रहे हैं। इसी का एक उदाहरण अमेजॉन के एक वेबसाइट पर मिल रहे प्राकृतिक लूफा की कीमत हजार रुपए से अधिक है।
कई सालों पहले जब मानव ने इतना विकास नहीं किया था तो हमारे बड़े बुजुर्ग इन्ही प्राकृतिक लूफा का प्रयोग करते थे। वे प्राकृतिक लूफा का प्रयोग नहाने में और स्क्रब के रूप में बर्तन साफ करने के लिए किया करते थे।
जिस तरह मानव विकास की ओर बढ़ता गया प्राकृतिक लूफा की जगह ह्यूमन मेड लूफा ने ले लिया लेकिन अब हम फिर से उसी पर वापस आ रहे हैं। आज के मॉडल जमाने में जहां लोग ऑनलाइन सामान खरीदते हैं आज उसी ऑनलाइन वेबसाइट पर प्राकृतिक गुफा की कीमत हजार रुपए से भी ज्यादा है।
वैसे तो इको फ्रेंडली लूफा खसखस के फाइबर से और तोरई से बने होते हैं लेकिन ज्यादातर तोरई का लूफा इस्तेमाल हो रहा है। सब्जी या जूस के लिए इस्तेमाल होने वाली पोशाक युक्त तोरई को नहाने के लिए भी यूज़ किया जाने लगा।
तोरई कैसे हमारे जीवन का हिस्सा बनी है यह शायद ही किसी को पता होगा बहुत से वैज्ञानिकों का मानना है कि हजारों साल पहले इसकी उत्पत्ति एशिया और अफ्रीका में हुई थी लेकिन इसकी खेती की शुरुआत भारत के लोगों ने की।
तोरई जब हरा रहे तो उसे सब्जी के रूप में प्रयोग किया जाता था। जो तोरई सूख जाती थी उसका छिलका हटाकर बीजों को निकालकर उसे नहाने के लिए और बर्तन साफ करने के लिए इस्तेमाल किया जाने लगा। दुनिया भर में इसका अलग-अलग तरीके से प्रयोग किया जाता है।
औषधीय गुणों से भरपूर होने के कारण इसका इस्तेमाल औषधि के रूप में भी किया जाता है। गद्दों में भरने के लिए, सैनिकों के हेलमेट में पेंडिंग के लिए, पेंटिंग करने, ज्वेलरी बनाने, सजावट और पानी फिल्टर के लिए भी इस्तेमाल किया जाता है।
जानकारों के अनुसार तोरई का इस्तेमाल डीजल ऑयल फिल्टर करने के लिए, इंजन साफ करने के लिए और सौंदर्य के लिए भी पुराने जमाने में इसका इस्तेमाल होता था। लूफा नहाते समय शरीर को स्क्रब करने के काम में आता है इसके इस्तेमाल से सभी मृत कोशिकाएं मर जाती हैं। प्राकृतिक लूफा ह्यूमन मेड से ज्यादा सॉफ्ट और लाभदायक रहते है।
जिस लूफा को आप ऑनलाइन हजार रुपए में खरीदते हैं उस लुफा को कुछ रुपए के खर्च पर आप अपने घर में भी उगा सकते हैं। आप इसके बीज को अपने गार्डन में लगा सकते हैं और जब फल तैयार हो जाए तो उसे तोड़े नहीं बल्कि बेल पर ही सूखने के लिए छोड़ दें । तो इसे आपको अगले सीजन के लिए बीज तो मिलेंगे ही साथ नेचुरल लूफा भी मिलेगा। तोरई जब पूरी तरह से सूख जाए तो आप इसे तोड़ ले और दोनों सिरों को हल्के हाथ से काटकर पहले बीजों को निकालन लें इसके बाद इसे पानी में भिगो दे थोड़ी नरम हो जाने पर आप आसानी से इसका छिलका उतार पाएंगे और अंदर से आपको जो मिले उसे लूफा की तरह इस्तेमाल करें। इसको इस्तेमाल करके हर रोज अच्छे से सुखाएं इससे इसमें फंगस नहीं लगेंगे और यह ज्यादा दिनों तक चलेगा।