योग गुरु बाबा रामदेव ने जून 2011 में दिल्ली के रामलीला मैदान में स्वदेशी और काला धन के मुद्दे पर अनशन किया था। उनका यह
आंदोलन का हिस्सा रहे तमाम लोगों में बीजेपी नेता और भोजपुरी स्टार मनोज तिवारी भी शामिल थे।
बाबा रामदेव का यह आंदोलन काफी चर्चा में भी था खासकर आधी रात को पुलिस की कार्रवाई और इसके बाद स्वामी रामदेव द्वारा वेष बदलकर आंदोलन स्थल छोड़ निकलने का प्रयास। हालांकि पुलिस ने उन्हें पकड़ लिया था। इस आंदोलन में शामिल हुए मनोज तिवारी को भी पुलिस के डंडे झेलना पड़े। बाद में एक दोस्त की मदद से मनोज तिवारी बमुश्किलन वहां से बाहर निकल पाए थे और सीधे हवाई अड्डे पहुंचे थे। वहां से मुंबई और फिर गुजरात पहुंच गए थे।
एक वरिष्ठ पत्रकार और लेखक संदीप देव ने बाबा रामदेव की जीवनी “स्वामी रामदेव: एक योगी-एक योद्धा” में मनोज तिवारी के ऐवज में लिखा और कहा उस रात मैं मंच के पीछे सो रहा था। अचानक आंसू गैस के गोले से मेरी नींद खुली। मैं समझ नहीं पाया कि आखिर हो क्या रहा है। रामलीला मैदान में भगदड़ मची थी। पुलिस डंडे मार रही थी।’इसी बीच मंच पर एक गोला फटा। मैं तेजी से गेट की तरफ भागा। उस वक्त मैं पायजामा और गंजी ही पहने था। कुर्ता पहनने का समय नहीं मिला। पुलिस ने मुझे भी एक डंडा मारा। मैं पीछे मुड़ा कि शायद मुझे पहचान लें लेकिन तब तक दो डंडे और पड़े। भागते भागते मैंने दोस्त को फोन किया जब मेरा दोस्त आया। मैं गाड़ी
में बैठा और सीधे हवाई अड्डे पहुंचा और पहली उड़ान से दिल्ली छोड़ कर मुंबई पहुंच गया। मुंबई से सीधे गुजरात चला गया, जहां मेरी एक फिल्म की शूटिंग हो रही थी।
गुजरात पहुंचते ही मैंने आचार्य बालकृष्ण को फोन मिलाया तो उन्होंने तुरंत पूछा कि मनोज तुम ठीक हो? मैंने कहा हां और स्वामी जी? आचार्य जी ने कहा कि हम सब सुरक्षित हैं और फोन कट गया। मै जब फ्लाइट में था तब यह चर्चा सुनने में आती कि दिल्ली पुलिस ने बाबा रामदेव को मारकर उनकी लाश गायब कर दी है।
मनोज तिवारी के मुताबिक उसी दिन उनके पास कांग्रेस के एक बड़े नेता का फोन आया था और लगभग धमकी भरे अंदाज में कहा था, ‘तुम्हें आंदोलन में जाने का बहुत शौक है? मैंने कहा भाई साहब बस ऐसे ही चला गया था। उधर से जवाब मिला, ‘ठीक है वैसे ही भुगतना भी…’। और फोन कट गया।