कई करोड़ों के घर में रहने वाली महिला ठेले पर छोले कुलचे बेचने को हुई मजबूर जानिए क्या है वजह…

chhole kulche

मानव जीवन में परेशानियां तो बहुत आती हैं लेकिन जो उन परेशानियों को पीछे छोड़कर आगे चलता रहता है और अपने कर्म करता रहता है वही एक न सफल होता है। समय एक ऐसा चक्कर है जो कभी कहीं रुकता नहीं है वह चलता रहता है और वह वापस भी लौट कर नहीं आता है लेकिन अगर मनुष्य चाहे तो उस समय के साथ चल कर अपनी राह बनाए तो वह जरुर सफल होगा।

इसी के संदर्भ में आइए एक महिला की कहानी जानते हैं जिनके पास करोड़ों रुपए की संपत्ति होने के बावजूद वह सड़कों पर छोले कुलचे बेचने के लिए मजबूर हो गए लेकिन उनके कर्म के वजह से वह लोगों के लिए प्रेरणा बन गई। अपनी आर्थिक तंगी से परेशान होकर इस महिला ने सड़क पर एक ठेले पर छोले कुलचे बेचने का काम शुरू किया यह छोले कुलचे का काम उन्हें एक दिन एक शानदार रेस्टोरेंट तक पहुंचा दिया।

आइये जानते है पूरी कहानी 

हरियाणा के गुरुग्राम में रहने वाली महिला उर्वशी यादव जो आज के समय में देश की करोड़ों महिलाओं के लिए मिसाल बन गई हैं। उर्वशी का विवाह ग्रुरुग्राम के एक धनवान परिवार में हुआ था उनके पति एक बड़ी कंस्ट्रक्शन कंपनी में अच्छे पद पर नियुक्त थे घर में नौकर चाकर सब थे साथ ही सुख संपत्ति की कोई कमी नहीं थी। वह हरियाणा की हाइटेक सिटी गुरुग्राम में वह एक आलीशान घर में रहती थी। परिवार बहुत खुश था। इस परिवार में किसी भी सदस्य ने सपने में भी नहीं सोचा था कि कभी उन्हें पाई पाई के लिए मोहताज होना पड़ेगा जब किस्मत अपना खेल दिखाती है तो अच्छे से अच्छे हिल जाते हैं और इनके परिवार के साथ भी ऐसा ही हुआ।

31 मई 2016 में उर्वशी के प्रति अमित का खतरनाक एक्सीडेंट हो गया इस एक्सीडेंट में अमित को काफी चोटें लगी जिसके चलते उनकी कई सर्जरी कराई गई लेकिन अमित को डॉक्टर ने बेड रेस्ट की सलाह दी जिसके चलते मजबूरन अमित को अपनी नौकरी छोड़नी पड़ी।

इसके बाद परिवार की हालत धीरे-धीरे बिगड़ती गए और उस परिवार को पाई पाई का मोहताज होना पड़ा इस परिवार में अमित के अलावा और कोई नहीं जरिया था कमाई का नौकरी जाते ही बैंक में जमा सेविंग भी धीरे-धीरे खत्म होने लगे। अमित की दवाई बच्चों की फीस घर का खर्च इन सब के चलते आर्थिक तंगी बढ़नी शुरू हो गए और अमित इस हालत में भी नहीं थी कि वह कुछ कर पाते जिससे अमित और उर्वशी काफी तनाव में रहने लगे।

लेकिन परिस्थितियों से हार ना मानने वाले उर्वशी ने कुछ करने की ठानी ताकि वह अपनी आर्थिक स्थिति को ठीक कर सकें। उर्वशी ने इस जिम्मेदारी को एक चुनौती में लिया और इसे पूरा करने की पूरी कोशिश करने में लग गई। उर्वशी ने नौकरी करने की सोची लेकिन नौकरी का अनुभव नहीं होने की वजह से वह ऐसा नहीं कर पाई।

अच्छी खासी पढ़ाई होने के बावजूद उन्होंने एक नर्सरी स्कूल में जॉब कर लिया जॉब से मिलने वाले पैसे से घर का खर्च चलाना आसान नहीं था लेकिन डूबते को तिनके का सहारा बहुत होता है और उर्वशी ने नौकरी करते हुए सोचा कि किस प्रकार और अधिक पैसे ला सके। इसके बाद उन्होंने अपना खुद का काम शुरू करने का सोचा उन्होंने दुकान खोलने की सोची लेकिन उनके पास इतने पैसे नहीं थे लेकिन वह हार नहीं मानी और उन्होंने ठान लिया कि वह ठेले पर ही खाने सामान बेचेंगी और उन्होंने बिना सोचे समझे ठेले पर छोले कुलचे बेचने का काम शुरू कर दिया।

काम शुरू होने के पहले परिवार के बहुत सारे लोगों ने उनका विरोध किया और कहा कि मान सम्मान चला जाएगा इज्जत चली जाएगी लेकिन उर्वशी को इन सब की नहीं अपने पति और अपने बच्चों की खाली पेट याद आती थी उन्होंने किसी की बात नहीं सुनी और मन में ठान लिया कि मैं काम करूंगी और उन्होंने गुरुग्राम सेक्टर 14 में सड़क किनारे एक ठेला लगाकर छोले कुलचे बेचना शुरू किया।

जो उर्वशी एसी में रहकर ठाट बाट की जिंदगी जीती थी आज वही उर्वशी कड़ी धूप और सड़कों के धूल गर्द में खड़े होकर छोले कुलचे बेच रही थी लेकिन वह उन सब से घबराए नहीं और अपने काम में लगी रही वही छोले कुलचे बेचने वाली उर्वशी के छोले कुलचे इतने ज्यादा लोग पसंद करने लगे कि उनके ठेले के पास भीड़ लगी होती थी जिसके कारण उर्वशी हर रोज इतने पैसे कमाने लगी कि जिससे उनके घर का खर्च आसानी से निकल जाता था फिर उन्हीं के परिवार के लोगों ने भी उनकी मदद करने लगे। उनकी हिम्मत और जज्बे की तारीफ करते नहीं थकते आज उन्हीं के परिवार के लोग। आज उर्वशी के लिए सफल बिजनेस बन गई है।

सोशल मीडिया पर जैसे ही उर्वशी की कहानी वायरल हुई गुरुग्राम के कोने-कोने से लोग उनके छोले कुलचे खाने के लिए पहुंचते थे। धीरे-धीरे उनका यह बिजनेस बहुत अच्छा चलने लगा फिर परिवार और पति ने उनके इस बिजनेस को संभाले में उनकी मदद की परिवार फिर से पटरी पर आ गया उनका यह ठेले का छोला कुलचा अब स्टूडेंट के छोले कुलचे का रूप ले लिया। रेस्टोरेंट में और भी खाने के आइटम बढ़ गए है।

उर्वशी के जिद ने उन्हें ठेले से रेस्टोरेंट्स पहुंचा दिया और एक बार फिर वह अपनी पुरानी स्थिति में आ गई कहते हैं ना कि जो मुश्किल में हार ना माने वही 1 दिन कामयाबी के परचम लहराता है और ऐसा ही हुआ उर्वशी के साथ उन्होंने लोगों के ताने झूठे मान मर्यादा आदि को न सुनकर अपनी मेहनत की ओर ध्यान दिया जिसके कारण आज वह फिर से फेमस हुए और उनका रेस्टोरेंट अच्छा चल रहा है। आज गुरुग्राम में हर कोई उर्वशी की कहानी अपनी बेटियों को सुनाता है और उससे सीख लेने के लिए बताता है

उर्वशी की कहानी से यह तो समझ आता है कि किस्मत अपना खेल दिखाती है जो इस खेल को खेल जाएगा वही असली खिलाड़ी हो जाएगा और जो इस खेल में पीछे हट जाएगा वह नाकाम हो जाएगा और उर्वशी ने किस्मत के खेल को बखूबी खेला और आज इस मुकाम पर हैं कि उनका परिवार और उनके पति उन पर गर्व महसूस करते हैं।

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Back To Top