83 वर्षीय उद्योगपति रतन टाटा ने खुलासा किया कि वो एक आर्किटेक्ट (वास्तुकार) बनना चाहते थे।रतन टाटा ने कहा कि अगर वे टाटा ग्रुप (Tata Group) के प्रमुख नहीं रहते तो आज वह अलग पेशे मे होते।उनकी इच्छा थी कि वे आर्किटेक्ट बने।लेकिन अफसोस इस बात का कि वे इस सेक्टर में काम नहीं कर पाए। रतन टाटा को अफसोस है कि वह लंबे समय तक एक आर्किटेक्ट (Architect) के रूप में काम नहीं कर पाए। टाटा ने इस बात पर जोर दिया कि आर्किटेक्ट का पेशा नहीं अपना पाने के बावजूद इस पेशे में मानवता के बारे में नजदीक से जाना।
टाइम्स नाउ की एक रिपोर्ट के मुताबिक रतन टाटा का कहना है कि
,”मैं हमेशा एक आर्किटेक्ट बनना चाहता था।यह मानवतावाद की गहरी भावना को प्रतिबिंबित करता है।इसके अलावा आर्किटेक्ट काफी मुझे प्रेरित करती है।इस सेक्टर में मेरी गहरी रुचि है।”
रतन टाटा के पिता चाहते थे कि उनके बेटे इंजीनियर बने।
‘पिता चाहते थे कि मैं एक इंजीनियर बनूं’
टाइम्स नाउ की एक रिपोर्ट के मुताबिक, रतन टाटा कहते हैं.. ‘ लेकिन मेरे पिता चाहते थे कि मैं एक इंजीनियर (Engineer) बनूं
और मैंने दो साल इंजीनियरिंग में बिताए। रतन टाटा कहते हैं कि उन दिनों इंजीनियरिंग ने मुझे विश्वास दिलाया कि मुझे एक वास्तुकार होने की जरूरत है और वास्तव में मेरी रुचि भी इसमें है।रतन टाटा को इस बात का भी अफसोस रहा कि कॉर्नेल विश्वविद्यालय (Cornell university) से वास्तुकला में डिग्री होने के बावजूद वह लंबे समय तक इस पेशे से जुड़े नहीं रहे।
अगर कोई कहता है कि एक आर्किटेक्ट के रूप में आप अपना व्यवसाय नहीं चला सकते तो यह गलत है।
बता दें कि 28 दिसंबर 1937 को जन्में टाटा 1962 में टाटा समूह में शामिल हो गए और बाद में 1991 में समूह अध्यक्ष के रूप में कार्यभार संभाला। उन्होंने दिसंबर 2012 तक समूह का नेतृत्व किया।