अप्रैल महीने 1 अप्रैल को मुर्ख दिवश मनाया जाता है । हम सब एक दूसरे को मुयरखा बनाते है मगर आप को ये जानकर हैरानी होगी की इसकी शुरुआत कब और कैसे हुई थी । आखिर कार क्यों माने जाता है मुर्ख दिवश आज हम आपको बताते है की मुर्ख दिवश के दिन अप्रैल फुल बनाने की प्रवित्ति कब और क्यों और कैसे शुरू हुई ।
क्यों मनाया जाता है मुर्ख दिवश
अप्रैल महीने के पाहिले तारीख के दिन हम दुसरो को मुर्ख बनाते है और आज के इसन हम एक दूसरे को मुर्ख बनाते है । इसकी शुरुआत 1 अप्रैल 1582 में जब पुराने कलैंडर को बदल के रोमन भाषा में नया कैलेण्डर बनाया और सब कुछ रोमन में संभव नहीं था इस लिए उस दिन उनका खिचाई हुवा मजाक के सुर्ख़ियो में थे तब से 1 अप्रैल के दिन फुल डे यानि मुर्ख दिवश मनाया जाता है
भारत में कब हुई इसकी शुरुआत
भारत में इसकी शुरुआत 19 शताब्दी से मजाक करने के लिए एक अप्रैल में पहले तारीख को मजाक करने के लिए बना लिए थे तब से एक अप्रैल को पूरा भारत में मुर्ख दिवश एक अप्रैल को माने जाता है
इन दिनों से भारत में राजनीती तंजो को लुत्फ़ उठाने के लिए 1 अप्रैल को मुर्ख दिवश की प्रथा चालू हुई । भारत में 19 वी सदी तथा इसकी शुरुआत 1392 में हुई थी उस समय लोग अपने नौकरो को मुर्ख बनाने के लिए मूर्खता वाले काम पर भेज देते थे और कागज की मछली बनाके पीछे अप्रैल फुल करके लिख देते थे आज के दिन 1 अप्रैल को सब लोग दुसरो का मजाक उदा के तंग खींचते है ।