महान धावक “मिल्खा सिंह” जो अब इस दुनिया में नहीं रहें. चंडीगढ़ के पीजीआई अस्पताल में उन्होंने आखिरी सांस ली. आखिर में 91 साल की उम्र में इस दुनिया को हमेशा के लिए अलविदा कह दिया. इस खबर के सामने आते ही पूरी दुनिया की आंखे नम हो गयी. भले ही मिल्खा सिंह दुनिया को छोड़कर चले गए हैं लेकिन अपने पीछे वो यादें छोड़कर गए हैं जो दुनिया के लोगों को सालों साल तक याद रहेंगी.
फिर चाहे वो खेल से जुड़ी हों या फिर उनकी प्रेम कहानी की हैं. क्योंकि मिल्खा सिंह की प्रेमकहानी भी किसी लवस्टोरी से कम नहीं है उनकी प्रेमकहानी शायद आप जानतें हों आज इस खबर में आपको उनकी प्रेमकहानी के बारे में बताएंगे. जिसे खुद सीएम ने कराई थी शादी।
श्रीलंका के कोलंबो में साल 1955 में भारत की बालीबाल खिलाडी और टीम की कप्तान “निर्मल कौर” से मिल्का सिंह की पहली मुलाकात हुई, मिल्खा सिंह और निर्मल कौर दोनों ही कोलंबों में एक टूर्नामेंट में हिस्सा लेने के लिए पहुंच थे. यहां एक भारतीय बिजनेसमैन ने टीम के लिए डिनर का आयोजन किया था, इसी पार्टी में मिल्खा सिंह ने निर्मल कौर को पहली बार देखा था देखते ही वो पहली ही बार में अपना दिल दे बैठे थे.
एक साक्षात्कार के दौरान इस बात का जिक्र करते हुए उन्होंने कहा था कि ‘निर्मल को देखते ही मैंने पसंद कर लिया था हमारे बीच इस दौरान काफी बातें भी हुई. हालांकि पास में कोई कागज नहीं था तो मैंने निर्मल के हाथ पर होटल का नंबर लिख दिया था’. इसके बाद साल 1958 में एक बार फिर से दोनों की मुलाकात हुई लेकिन प्यार की गाड़ी ने 1960 में चलना शुरु कर दिया. जब दोनों की मुलाकात दिल्ली के एक नेशनल स्टेडियम से हुई.
इसके बाद इसी तरह सिलसिला आगे बढ़ता चला गया, इस दौरान इस रिश्ते को बस नाम देना बाकी रह गया था. इस वक्त तक मिल्खा सिंह खेल की दुनिया के बड़े नाम हो चुके थे, लेकिन उनकी शादी में अड़चन उनके ससुर ही बन रहे थे क्योंकि वो इस रिश्ते के लिए तैयार नहीं थे. इसके पीछे की वजह थी धर्म, मिल्खा सिंह सिख परिवार से नाता रखते थे तो वहीं निर्मल हिंदू परिवार से आती थी ऐसे में शादी में अड़चन आना स्वाभाविक था. उस समय भी ऐसी बातों को महत्व देने वाले ऐसे लोग मौजूद थे।
कहते हैं कि जोड़ियां ऊपर से बनकर आती हैं तो फिर हम लोग बिगाड़ने वाले कौन होते हैं. उस समय मिल्खा सिंह और निर्मल की शादी के लिए पंजाब के तत्कालीन सीएम “प्रताप सिंह कैरों” मसीहा बनकर सामने आए, उन्होंने दोनों परिवार के लोगों को समझाया. साल 1963 में दोनों ही शादी के पवित्र बंधन में बंध गए. अक्सर कई बार सार्वजनिक जगहों पर इस बात को कहते हुए देखा गया है कि वो अपनी पत्नी की तारीफ करते हुए कहते हैं कि वे खुद 10वीं पास हैं लेकिन बच्चों को पढ़ाने और संस्कारित बनाने में उनकी पत्नी निर्मल का अहम रोल रहा है.
आप तो जानते ही होंगे कि मिल्खा सिंह पर एक फ़िल्म भी बनी थी जिसमे फरहान अख्तर ने काम किया था बतौर मिल्खा सिंह फ़िल्म काफी हिट रही हालांकि आपको जानके हैरानी होगी कि मिल्खा सिंह ने फ़िल्म की फीस सिर्फ एक रुपये ली थी मंजूरी देते समय बाकी फ़िल्म तैयार होने पर उन्हें 10% का मालिकाना हक दिया जाना था और कुछ प्रतिशत चैरिटबल फंड्स रखे गए थे।