संजय गांधी की मौत के बाद, आख़िर गांधी परिवार को क्यों खटकने लगी थी मेनका गांधी। जानिए पूरी कहानी…

राजनीति में जिसकी थोड़ी सी भी रुचि होगी। उसे इस बात के बारे में तो अवश्य पता होगा कि एक ऐसा परिवार भी है। जिसके एक ही परिवार के कुछ सदस्य भाजपा में है तो कुछ कांग्रेस के हाथ के साथ जुड़े हुए है। चलिए ज़्यादा बात को घुमाने की बजाय सीधे मुद्दे की बात पर आते हैं। देश की पहली महिला प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी थी। जिनके दो पुत्र थे। एक का नाम राजीव गांधी था। राजीव गांधी भी देश के प्रधानमंत्री रह चुके हैं। वहीं इंदिरा गांधी के दूसरे पुत्र संजय गांधी थे। संजय गांधी की पत्नी मेनका गांधी है। जो एक पशु प्रेमी होने के साथ ही साथ राजनीति में भी सक्रिय है और वह भाजपा की सांसद है। संजय गांधी के लड़के का नाम वरुण गांधी है। वह भी उत्तर प्रदेश में भाजपा के फायर ब्रिगेड नेता है। वहीं राजीव गांधी की पत्नी सोनिया गांधी और उनके बेटे राहुल गांधी कांग्रेस पार्टी के सर्वोसर्वा है।

आज हम गांधी परिवार के राजनीतिक इतिहास की चर्चा नहीं करने वाले। बल्कि एक ऐसे मुद्दे की चर्चा करने जा रहें। जिसकी वज़ह से देवरानी ने जेठानी पर जमकर आरोप लगाए थे। जी हां यह तो सभी को पता है कि इंदिरा गांधी (Indira Gandhi) के बेटे संजय गांधी (Sanjay Gandhi) की 31 वर्ष की उम्र में 23 जून 1980 को प्लेन क्रैश में मौत हो गई थी। उस समय उनकी पत्नी मेनका गांधी (Maneka Gandhi) मात्र 23 साल की थीं। संजय की मौत के बाद मेनका के साथ ससुराल में कैसा व्यवहार होता था, इस पर उन्होंने एक इंटरव्यू में खुलासा किया था। उस दौरान राजीव गांधी (Rajiv Gandhi) और सोनिया गांधी (Sonia Gandhi) पर मेनका ने तमाम आरोप लगाए थे। मेनका का कहा था कि वह सोनिया और राजीव की आंख में खटकने लगी थीं और उनकी सास इंदिरा मजबूर हो कर सब सहती जा रही थीं। मेनका ने अपने दिए गए इंटरव्यू में जेठानी सोनिया गांधी के साथ अपने रिश्ते पर खुलकर बात की थी।

मेनका ने इंटरव्यू के दौरान यह बताया था कि कैसे संजय की मौत के बाद उनके प्रति राजीव और सोनिया का व्यवहार बहुत बदल गया था। सिमी ग्रेवाल के टॉक शो में मेनका ने बताया था कि इंदिरा गांधी मजबूरी में राजीव की बात मानती जा रही थीं। इतना ही नहीं मेनका ने बताया था कि संजय गांधी की मौत के बाद इंदिरा ने उन्हें अपनी सेक्रेटरी बनाने की बात की थी। लेकिन कुछ दिनों बाद ही इंदिरा के सचिव धीरेन्द्र ब्रम्हचारी ने मेनका को बताया कि वह अब पीएम की सेक्रेटरी नहीं बन सकती हैं।

खुशवंत सिंह जो कि एक जानें-मानें लेखक है उनकी किताब ‘सच, प्यार और थोड़ी सी शरारत’ के अनुसार धीरेंद्र ने मेनका को बताया था कि सोनिया गांधी जिद पर अड़ी हैं कि अगर आपको ये पद दिया तो वे अपने परिवार समेत इटली चली जाएंगी। इसके अलावा मेनका गांधी का कहना था कि जब मार्गरेट थैचर के सम्मान में पीएम आवास में पार्टी दी गई तो उसमें राजीव और सोनिया मुख्य अतिथि के साथ प्रमुख मेज पर बैठे और उन्हें धवन और उषा जगत के साथ स्टाफ के लिए लगाई गई मेज पर बैठाया गया था।

वहीं मेनका गांधी ने यह आरोप भी लगाया था कि उनके पीएम आवास में रहने से राजीव गांधी को आपत्ति थी। इस शर्त पर वह राजनीति में आने को तैयार हुए थे कि उन्हें सर्वप्रथम पीएम आवास से ही नहीं गांधी परिवार से भी बेदखल किया जाए। इतना ही नहीं मेनका गांधी ने अपनी जेठानी सोनिया पर भी आरोप लगाते हुए कहा था कि, “वह जहां तक सोनिया को जानती हैं, यह सब कुछ संपत्ति और दौलत के लिए किया गया था।”

मेनका गांधी की मानें तो ससुराल में उनका रहना बेहद कठिन हो गया था और इसके पीछे कारण राजीव और सोनिया गांधी ही थे। उनकी सास बस उनके आदेशों का पालन करती जा रही थीं, क्योंकि राजनीति में उन्हें संजय के बाद राजीव ही दावेदार के रूप में नजर आ रहे थे। ऐसे में देखें तो इस पूरे वाक़ये से दो बातें निकलकर आती है, कि जो सोनिया गांधी परिवार अपने छोटे भाई का नहीं हो सका। वह देश का कैसे हो सकता? वहीं दूसरी बात यह कि वंशवादी जड़ें तो कांग्रेस में नेहरू और इंदिरा के दौर में ही पड़ गई थी। जो आज भी चली आ रही। वहीं बात मेनका के पुत्र वरुण गांधी की बात करें तो वह सुल्तानपुर संसदीय सीट से भाजपा सांसद है। साथ ही साथ वह लेखन के क्षेत्र से भी जुड़े हुए है। वही सोनिया गांधी के पुत्र राहुल गांधी है। जिनके बारे में सभी को पता है ही, बताने की कोई जरूरत है नहीं!

राजनीति में ये सारि बातें बहुत छोटी है हालांकि की देश के पीएम के घर में इतनी बड़ी बात हो जाना नाक़ाबिल-ऐ-बर्दाश्त है यदि आज संजय ज़िंदा होते तो शायद ऐसा न होता या वरुण भी भाजपा में न होके कांग्रेस के कदम से कदम मिला कर चलते लेकिन ऐसा नाहिंन हुआ।

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