माता सीता के श्राप की वजह से कलयुग में भुगत रहे है, ये चार जिसमे गाय भी शामिल,जाने क्रोध का कारण…

SITA MATA

आज भी भोग रहे हैं माता सीता के क्रोध को जाने वजह. 

मृत्यु के पश्चात आत्मा की शांति के लिए श्राद्ध में ब्राह्मणों को भोजन कराया जाता है और पिंडदान किया जाता हैं। हमारे पूर्वजों का मानना है कि श्राद्ध में ब्राह्मणों के रूप में हमारे पूर्वज भोजन करते हैं और इस भोजन से उनकी आत्मा को मुक्ति मिलती है। जब भगवान राम, लक्ष्मण और सीता जी के साथ वनवास गए थे तो उनके पिता दशरथ उनके वियोग के दर्द को झेल नहीं पाए थे और उनकी मृत्यु हो गई।

अपने पिता की मृत्यु का समाचार पाकर राम और लक्ष्मण ने उनका पिंडदान करने का निश्चय किया और पिंडदान के लिए आवश्यक सामग्री को एकत्रित करने के उद्देश्य से वह इधर-उधर जंगल में निकल गए। पिंडदान का समय निकलता जा रहा था और इनकी महत्ता को समझते हुए माता सीता ने पिता के समान ससुर दशरथ का राम और लक्ष्मण के अनुपस्थिति में ही पूरे विधि विधान से पिंड दान कर दिया।

SITA MA

जब भगवान श्री राम और लक्ष्मण वापस आए तो सीता माता ने उन्हें अपने द्वारा किए पूरे विधि विधान से पिंडदान का विवरण सुनाया और यह भी कहा कि उस वक्त पंडित गाय कौवा और फल्गु नदी वहां उपस्थित थे। साक्षी के तौर पर आप इन चारों से सच्चाई का पता लगा सकते हैं। भगवान राम ने अपने आत्म संतुष्टि के लिए इन चारों से पूछताछ की। जब भगवान राम ने उनसे पूछा तो उन चारों ने उनसे झूठ बोल दिया और कहा कि ऐसा कुछ नहीं हुआ।

इस बात से दोनों भाई सीता पर नाराज हो गए और उन्हें लगा कि सीता माता उनसे झूठ बोल रही है। उनके झूठ बोलने पर सीता माता को क्रोध आता है और इन चारों के झूठ बोले पर उन्हें जीवनभर झूठ बोलने की सजा से श्रापित कर देती हैं। माता सीता फल्गु नदी को श्राप में देती है कि पानी गिरने के बावजूद फल्गु नदी हमेशा ऊपर से सुखी रहेगी और इसमें पानी का बहाव कभी नहीं होगा।कवि को श्राप देती हैं कि उसका अकेले खाने से कभी पेट नहीं भरेगा और वह आकस्मिक मौत मरेगा।

पंडित को श्राप देती हैं कि अत्यधिक दाम मिलने के कारण भी उसके अंदर संतुष्टि की कमी रहेगी और वह कभी भी सुखी नहीं रहेगा। माता सीता गाय को श्राप देती है कि उसकी पूजा होने के बाद भी उसे लोगों का जूठन ही खाना पड़ेगा। इसका जिक्र आपको रामायण में भी मिलेगा। माता सीता के श्राप के प्रभाव को देखकर फिर चारों ने भगवान श्रीराम को सत्य बताया लेकिन श्राप तो श्राप होता है अगर एक बार दे दिया जाए तो वापस नहीं लिया जा सकता है। इसके प्रभाव को थोड़ा कम किया जा सकता है और सीता माता ने वही किया।

 

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