सोशल मीडिया आज के ज़माने में एक ऐसा प्लेटफार्म बन गया है एक ऐसी जगह बन गयी है जहां किसी से कुछ नहीं छुपा हर कुछ दिखता है और हर कुछ वहां बिकता भी है हालांकि हम ये बात क्यों कर रहे हैं आपको आज का हमारा ये आर्टिकल पढ़ के समझ आ जायेगा
इंसानों की ही तरह जानवरों को भी एक सुरक्षित घर की तलाश होती है, जिसमें वे तथा उनके बच्चे आराम से रह पाएँ। स्वभाव से शांत कहा जाने वाला कछुआ जो कि समुद्र में रहता है, वह सभी को स्वाभाविक रूप से आकर्षक लगता है। परन्तु इस भोले और शांत प्राणी का जीवन खतरे में दिखाई पड़ रहा है, क्योंकि कुछ वर्षों से इनका काफ़ी ज़्यादा मात्रा में शिकार किया जा रहा है। यद्यपि विश्व के सभी देशों में कछुओं के संरक्षण हेतु विभिन्न प्रकार से अभियान चलाए जा रहे हैं. अक्सर कछुए की तस्करी के मामले सामने आ रहे हैं।
आजकल सोशल मीडिया पर योशी (Yoshi Turtle) नाम का एक मादा कछुआ छाया हुआ है। क्योंकि इस कछुए ने कुछ वर्षों पूर्व समुद्र में 37 हज़ार किलोमीटर का सफ़र तय करके अपने लिए सुरक्षित घर की तलाश की। इस साधारण से कछुए की असाधारण कहानी से सभी को प्रेरणा मिलती है।
घायल अवस्था में मिला था यह कछुआ, स्वस्थ होने पर सैटलाइट टैग लगाकर किया आज़ाद
योशी नामक यह मादा कछुआ को घायल अवस्था में मिला था। जिसे देखकर पशु प्रेमियों द्वारा उसका उपचार करवाया गया तथा जब तक वह पूरी तरह स्वस्थ न हो गया, तब तक उसका भली भांति ध्यान रखा गया। उसी दौरान उसके शरीर पर एक सैटलाइट टैग भी लगा दिया गया था, जिससे उसकी प्रजाति के बारे में और ज़्यादा जानकारी मिल सके।
फिर 20 साल उसे क़ैद में रखने के पश्चात अन्ततः आज़ाद कर दिया गया। रिहाई मिलने के बाद कछुए ने अपने घर की खोज करना शुरू कर दिया था और इसी वज़ह से वह चलते-चलते करीब आधी दुनिया का चक्कर लगा गया। जब लोगों ने कछुए द्वारा 37 हज़ार किलोमीटर की यात्रा करने की कहानी सुनी तो उनके आश्चर्य का ठिकाना ना रहा।
अफ्रीका से 37 हज़ार किमी की दूरी तय करते हुए पहुँचा ऑस्ट्रेलिया
इस कछुए के बारे में जीव वैज्ञानिकों ने बताया कि योशी नाम का यह मादा कछुआ 180 किलो का है। दरअसल यह रहने के लिए ऐसा स्थान खोज रहा था, जहाँ वह अपने बच्चों को जन्म दे सके तथा उनका पालन पोषण कर सके, यही कारण है कि इसने 37 हज़ार किलोमीटर की इतनी लंबी यात्रा की। उस कछुए ने यह सफ़र अफ्रीका से शुरू किया था और ऑस्ट्रेलिया में ख़त्म हुआ। वैज्ञानिकों का कहना है कि हमें यह समझने की आवश्यकता होगी कि ये प्राणी इतना लंबा सफ़र क्यों और कैसे तय कर लेते हैं।
प्रवीण कासवान ने सोशल मिडिया पर शेयर की थी यह पोस्ट
Incredible journey of a loggerhead turtle to locate its home. This is Yoshi & she just traveled 37000 kms from Africa to Australia probably to find here nesting grounds. Also incredible to observe how these creatures move to such a length & why we need to protect nesting grounds. pic.twitter.com/P9Fqb2j0wF
— Parveen Kaswan, IFS (@ParveenKaswan) March 11, 2020
हम योशी कछुए की जिस वायरल पोस्ट की चर्चा कर रहे हैं, वह IFS अधिकारी प्रवीण कासवान ने सोशल मीडिया के माध्यम से शेयर किया था। उन्होंने अपनी पोस्ट में लिखा-, ‘अपने घर का पता लगाने के लिए एक लॉगरहेड कछुए की अविश्वसनीय यात्रा। ये योशी है। उसने अभी-अभी अफ्रीका से ऑस्ट्रेलिया के लिए 37000 किलोमीटर की दूरी तय की है ताकि घोंसले के मैदान का पता लगाया जा सके। ये जीव इतनी लंबाई में कैसे चले जाते हैं और हमें घोंसले के मैदान की रक्षा करने की आवश्यकता क्यों है।’
फिर उन्होंने आगे लिखा, ‘योशी को बीस साल के लिए बंदी बना लिया गया था। वह क्षतिग्रस्त थी। बाद में प्रशिक्षकों ने उसे सही स्वास्थ्य में वापस लाने में मदद की। एक उपग्रह टैग उसके साथ लगाया गया। शोधकर्ताओं ने उसकी रिहाई की। यात्रा पर भी निगरानी रखी। उस मामले में वह जा रही थी जहाँ वह एक बार गई थी। उसका घर!’ लोगों ने उनकी इस पोस्ट को जमकर शेयर किया था।
आखिर क्यों किया जाता है कछुओं का शिकार?
आजकल के समय में कछुओं का शिकार करने के मामलों में तीव्रता से वृद्धि हुई है। इतना ही नहीं, तस्करों की वज़ह से परिस्थितियाँ तो ऐसी हो गयी हैं कि पीले कछुए तो मानो विलुप्त होने पर ही हैं। इस बारे में जीव वैज्ञानिक कहते हैं कि कछुओं का शिकार दो ख़ास वजहों से किया जाता है, पहला तो यह कि कछुओं के मांस को खाने का प्रचलन है और दूसरा, इनका बढ़ता हुआ व्यापार। ऐसी भी मान्यता है कि कछुओं के मांस से शरीर की ऊर्जा बढ़ती है तथा हमारा शरीर कई तरह के रोगों से मुक्त रहता है। इन्हीं सभी कारणों की वज़ह से कछुओं की तस्करी के मामले बढ़ते जा रहे हैं, जिन पर रोक लगाने की आवश्यकता है। वरना, एक समय ऐसा आएगा जब हमारे यह अमूल्य जीव केवल किताबों में नज़र आएंगे।