अफसर ने गरीब पिता से कहा चपरासी के लायक नहीं है आपका बेटा, बेटे ने भी 3 बार UPSC पास करके दिखाया.

हम सब जानते हैं कि यूपीएससी की परीक्षा पास करना कितना कठिन होता है लेकिन कुछ ऐसे भी लोग होते हैं जिन्हें लोग सरफिरा कहते हैं और वो सरफिरे लोग कुछ भी कर गुज़रते हैं अपनी कड़ी मेहनत के दम पर ऐसा कर दिखाया इन्होंने और साझा किया अपनी कहानी.

संघर्ष जीवन का दूसरा नाम होता है। कोई भी व्यक्ति अगर अपने मन में कुछ बनने की ठान लेता है तो वो कर के दिखाता है। वो शख्स कोई भी मुकाम हासिल कर सकता है। सफलता पाने के लिए बस जरूरी है कि पूरी इच्छाशक्ति और मेहनत के साथ काम किया जाए। सफलता उसे ही प्राप्त होती है जो कड़ी मेहनत और लगन से अपने मंज़िल को पाने की चाह रखे। ऐसा ही कुछ करके दिखाया मनीराम शर्मा ने। आज हम आपको मनीराम शर्मा के बारे में बताने जा रहे हैं जिनके पिता मजदूरी कर गुजर-बसर करते थे, और मां दृष्टिहीन थीं। गरीबी से जूझ रहे परिवार में खुद मनीराम शर्मा बहरेपन का शिकार थें। उन्हें सुनाई नहीं देता था। ऐसे शख्स ने हौसला ना हारते हुए यूपीएससी की परीक्षा दी और सफलता हासिल करके दिखाया।

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मनीराम शर्मा राजस्थान के अलवर के एक छोटे से गांव बंदीगढ़ के रहने वाले हैं। गांव ज्यादा संपन्न ना होने के कारण बुनियादी सुविधाओं से अछूता था। यहाँ तक के उस गांव में कोई स्कूल नहीं था। मनीराम शर्मा गांव से 5 किलोमीटर दूर एक स्कूल में पढ़ाई करने जाते थे। यह उनके लिए बहुत ही कठिन था। लेकिन उन्होंने कभी भी हार नहीं मानी और अपने सफलता के लिए हमेशा आगे बढ़ते गए।

आपको बताते चलें कि मानीराम राज्य में 12वीं की परीक्षा में टॉप करने के बाद उनके दोस्तों ने घर पर आकर उनके पिता और मनीराम शर्मा को ये खुशखबरी दी। पिता भी बच्चे की सफलता की चर्चा सुनकर काफी खुश हुए। बेटे के सफल होने के बाद वो बीडीओ के पास चपरासी की नौकरी के लिए ले गए। बीडीओ ने कहा कि ये लड़का तो सुन ही नहीं सकता इसे ना तो घंटी सुनाई देगी ना ही किसी की आवाज, ये मेरे किसी काम का नहीं हैं। इस दौरान मनीराम शर्मा के स्कूल के प्रिंसिपल ने उनके पिता को बेटे की आगे की पढ़ाई के लिए सलाह दी। बताते चले आगे की पढ़ाई उन्होंने अलवर के एक डिग्री कॉलेज से की है।

यहां उन्हें लिपिक वर्ग में पढ़ने का मौका मिल गया। यहां से उन्होंने अपनी ग्रेजुएशन और पोस्ट ग्रेजुएशन की पढ़ाई पूरी की, फिर पीएचडी की पढ़ाई पूरी की। मनीराम अभी तक अपने साथ हुए भेदभाव को भूले नहीं थें। उन्होंने इस दौरान यूपीएससी की तैयारी कर आईएएस अधिकारी बनने की ठान लिया। आपको बता दे मनीराम शर्मा ने कॉलेज के दूसरे प्रयास में राजस्थान पब्लिक सर्विस कमीशन की परीक्षा को पास कर लिया। इसके बाद उन्होंने क्लर्क का पद हासिल किया। इतना ही नहीं आगे उन्होंने विश्वविद्यालय में भी टॉप किया और नेट के एक्ज़ाम को पास कर लेक्चरर भी बन गए। अपने हर कदम पर वो मेहनत के दम पर सफलता हासिल कर वो आगे बढ़ते जा रहे थें।

पढ़ाई लिखाई में अच्छा होने के कारण मनीराम शर्मा ज्यादातर परीक्षाओं में सफल हो जाते थें। लेकिन अपने बहरेपन के कारण उन्हें उसके बाद का संघर्ष करना था। इस दौरान यूपीएससी की परीक्षा को पास करने के बाद भी उन्हें आईएएस बनने में करीब 15 साल तक लग गए। उन्होंने लगातार 2005, 2006 और 2009 में आईएएस की परीक्षा पास की। लेकिन उनके बहरेपन के कारण उनका सेलेक्शन नहीं किया जा सका। इसके बाद साल 2009 में वो फिर से आईएएस की परीक्षा में पास हो गए। ये तीसरी बार था जी मनीराम ने परीक्षा पास की थी।

इसके बाद उन्होंने कान का ऑपरेशन करवाया। इस ऑपरेशन में उन्हें 8 लाख रुपए चुकाने थें। मनीराम कहते हैं कि ये रकम किन लोगों ने इकट्ठी की उन्हें इसके बारे में नहीं पता। इस रकम को काफी लोगों से जुटाया गया था। इसके बाद उनका सफलतापूर्वक कान का ऑपरेशन हुआ। मनीराम अब सुन सकते थें। इस दौरान उन्हें आईएएस अधिकारी बना दिया गया। मनीराम शर्मा को पहली बार हरियाणा में नूंह जिले में उपायुक्त बनाया गया। हालांकि अभी वो और फिलहाल अब वे पलवल जिले के उपायुक्त है।

कहते हैं कि अगर इंसान कुछ करने का ठान ले तो वो उसे हासिल कर ही लेता है इंसान की जिद्द के आगे कभी-कभी भगवान को भी झुकना पड़ता है और भगवान को झुकाने का काम वही कर सकता है जो कड़ी मेहनत से न डरता हो ऐसे जाने कितने लोग होंगे जिन्हें हम जानते ही नहीं यहां तक कि हम खुद अपने आपमे एक कहानी होते हैं लेकिन हम अपने आपको तब पहचानते हैं जब हमारे साथ भी ऐसी कोई घटना हो।

 सार-अगर आप भी कुछ करने की ठान लेते हैं तो बेशक आप भी कर सकते हैं हर इंसान के अंदर वो जज़्बा होता है ज़रूरत है हमें अपने आपको पहचानने की।

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