World Heritage Hawamahal: सोने की चढ़ती कीमतों का असर विश्व प्रसिद्ध धरोहर ‘हवामहल’ के ऊपर भी पड़ा है. पुरातत्व विभाग बजट के अभाव में इस बार इमारत की ‘544’ कलशों पर पीतल की परत चढ़ाने जा रहा है ।
जयपुर. विश्वविख्यात ऐतिहासिक धरोहर और ‘पिंकसिटी’ के मुकुट हवामहल को पुरातत्व विभाग ही ‘सोने से पीतल’ में तब्दील करने जा रहा है. बजट के अभाव का रोना रोकर विभाग हवामहल के 544 कलशों पर अब सोने के बजाए पीतल की परत चढ़ाने जा रहा है. विशेषज्ञों का मानना है कि पीतल कुछ वर्षों में ही काला पड़ जाएगा. तब यह हमारे सुनहरे हेरिटेज की खूबसूरती पर बदनुमा धब्बे के समान लगेगा। और ये किसी क्रिटिक्स की बात सुन के नहीं बताया जा रहा है बल्कि ये जग जाहिर है कि चांदी के समान पर यदि पीतल की पालिश करा दी जाए तो कुछ ही दिनों में वो काला पड़ने लगता है।
राजधानी जयपुर की पहचान रहे हवामहल की मरम्मत का काम करीब 13 साल पहले पुरातत्व विभाग ने ही कराया था. तब हवामहल के कलशों पर सोने की परत चढ़ाने के काम पर ’90 लाख रुपए’ का खर्च आया था. तब सोना आज के मुकाबले काफी सस्ता था, फिर भी 63 लाख रुपए सिर्फ सोने पर ही खर्च हुए थे. अब सोना बहुत महंगा है और पुरातत्व विभाग के पास इसके लिए बजट ही सिर्फ 12 लाख रुपए है. इसलिए सोने के बजाए पीपल की परत चढ़ाने की तैयारी हो रही है. यह अलग बात है कि पीतल की पालिश से कलश जल्द ही काले पड़ जाएंगे और वो गंदा दिखने लगेगा।
तीन तरह के डिजाइन हैं 554 कलश में
इस ऐतिहासिक इमारत के खराब होने के कारण करीब 8 साल पहले रंग-रोगन का काम हुआ था. तीन तरह के डिजाइन वाले 544 कलशों पर सोने का पानी चढ़ाने का काम इससे पांच साल पहले ही हो गया था. अधिकारियों का कहना है कि अब इसके मुकुट पर रंग-रोगन और जीर्णोद्धार का काम चल रहा है. इस मुकुट पर एक फीट, डेढ़ फीट और और दो फीट, यानी तीन तरह के कलश लगे हुए हैं. मुकुट की साफ-सफाई और रंग-रोगन का काम पूरा होते ही कलशों पर पीतल चढ़ाई जाएगी. पुरातत्व विभाग ने एडमा को यह काम सौंपा है. एडमा ने काम शुरू होने से पहले फोटोग्राफी कराई और कलशों पर पीतल चढ़ाने के बाद फिर से फोटोग्राफी कराई जाएगी।
पुरातत्व विशेषज्ञों का मानना है कि हवामहल के कलशों पर सोने की पालिश शुरू से ही है. जब-जब मरम्मत कराई गई है, इसका ख्याल रखा गया है. पिछली बार 13 साल पहले इस पर सोने की परत चढ़ाई गई थी. अब यदि इस पर पीतल की पालिश या परत चढ़ाई जाती है तो यह न सिर्फ सुंदरता की दृष्टि से ही नहीं, बल्कि यह पुरा-स्मारकों से छेड़-छाड़ की श्रेणी में भी आता है. राजस्थान स्मारक पुरावशेष स्थान तथा प्राचीन वस्तु अधिनियम 1961 के तहत अगर कोई व्यक्ति संरक्षित इमारत को हानि पहुंचाता है या उसे परिवर्तित करता है तो तीन साल की सजा और एक लाख रुपए जुर्माने का प्रावधान है।