रामायण की कथा के बारे में आप सब लोग जानते होंगे ही। आज मै आपको रामायण के एक ऐसी कथा को सुनाने जा रहे है। जिसको शायद आप नहीं जानते होंगे रामायण में हनुमान जी का कितना बड़ा रोल है हम सब लोग जानते ही है , रामायण में सबसे वीर और बुद्धि के साथ साथ भगवान के प्रति अघोर प्रेम के लिए जाने जाने वाले बजरंग बलि के कुछ ऐसी घटनाये जिसे आइये हम सब लोग जानते है।
बजरंग बलि को क्यों ऋषियों के द्वारा मिला था श्राप
बजरंग बलि को बचपन में जब सभी देवताओं की शक्ति मिल गई थी तब वह नटखट बालक थे। एक नटखट बालक का स्वभाव होता है उनका बचपना जैसे नटखटी करना या फिर सीधे शब्दों में कह जाय तो शरारत करना, ठीक उसी प्रकार से बजरंग बलि बचपन में अपने नटखट पन की वजह से ऋषियों को परेशान करने लगे कभी उनके पूजा याचना में तो कभी तपश्या में उनको आसमान की सैर कराने लगते थे । जिससे उनकी तपस्या भंग हो जाती थी। इसीलिए उन्हें ऋषियों के द्वारा श्राप मिला था की वह अपनी शक्ति को भूल जायेंगे और उनको शक्ति उस समय वापस आएगी, जब उन्हें कोई उनके भूले शक्तियों का याद दिलाएगा।
ऐसा क्या हुआ था जब हनुमान जी
जब विकराल समुद्र को पार करके हनुमान जी लंका में पहुंचते है, तब हनुमान जी के मन में एक नकारात्मक विचार आता है, कि कई ऐसा तो नहीं कि रावण हो न हो माँ सीता का वध कर दिया हो मगर काफी प्रयत्न के बाद माँ सीता का पता लगाने में वह सफल हो जाते है, मगर वही उनको शत्रु कि शक्ति का अंदाजा लगाने कि सुधि और वह माता जी के आशीर्वाद लेकर बोले माता यदि आपकी आज्ञा हो तो मुझे भूख लगी है अशोक वाटिका के कुछ फल को खाकर हम अपनी क्षुदा को शांत कर ले। माता सीता के आज्ञानुसार हा कहने पर वह अशोक वाटिका के फल खाने लगे और तभी सैनिको के वार के बाद वह सैनिक से युद्ध भी किये। और यही नहीं उन्होंने रावण के बेटे अक्षय कुमार को स्वर्ग में भी भेज दिए ।
ऐसी घटना जिसमे हनुमान जी
अक्षय कुमार के वध के बाद मेघनाद से युद्ध हुआ और किसी तरह से दुश्मन कि शक्ति को आंकने के लिए हनुमान जी जानबूझ कर ब्रम्हास्त्र में बंध कर लंकेश को देखने के चाह में लंकेश के पास पहुंचे। रावण के द्वारा दंड के अनुसार उनके पूछ में आग लगाने के बाद वह रावण कि लंका में आग लगाने लगे तभी उनसे मुलाकात शनि देव से होती है जब शनि देव अपने बारे में बताया तो उन्हें हनुमान जी ने रावण के बंधक से मुक्त कर दिए तब शनि देव और हनुमान जी दोनों मिल के लंका का दहन किये। क्योंकि सोने कि लंका में आग लगाने पर सोना में चमक आ रही थी। और लंका जस कि तस पड़ी रह गई थी तभी शनि देव के और हनुमान जी के दोनों लोग कि शक्तिया मिल के रावण कि लंका को दहन करते है। उसी समय से शनि देव ने कहा कि जो हनुमान जी के भक्त है। उन्हें शनि का प्रकोप नहीं लगेगा।