मस्तिष्क की संतुष्टि और भोजन का स्वाद….. बढ़ाए आपका हाथ।

KHANA

भारतीय पद्धति सदा ही हाथ से भोजन करने के पक्ष में रही है। वेदों पुराणों में भी हाथ से भोजन करने का वर्णन मिलता है। आज के युग में लोग पाश्चात्य सभ्यता की ओर आकर्षित हो रहे हैं जिसके कारण लोग हाथ से भोजन खाने की जगह चम्मच(spoon) कांटे( fork) से खाना पसंद करते हैं।

अगर भोजन खाने की बात आए तो भारत में ऐसा कौन है जिसे व्यंजनों का शौक नहीं है। भारत के मसालों से पके भोजन दुनिया से अलग होते हैं. भारत में हाथों से भोजन खाना एक आम बात है। इस तरीके का विदेशों में काफी आलोचना की जाती है।

जबकि कई शोध से पता चला कि चम्मच कांटे से खाने पर भोजन का स्वाद हमें कब मिलता है, जबकि वहीं भोजन हाथ से खाने पर उसका स्वाद बढ़ जाता है। वैज्ञानिकों ने भी परखा और बताया कि भारतीय तरीके से भोजन करना न केवल बेहतर स्वाद देता है बल्कि पूर्ण संतुष्टि भी देता है। भोजन छूने मात्र से ही मस्तिष्क को संतुष्टि की अनुभूति होती है और मस्तिष्क को विश्वास हो जाता है कि भोजन स्वादिष्ट है।

एक प्रयोग हुआ जिसमें 145 लोग शामिल थे इन्हें दो समूहों में बांटा गया। एक समूह को हाथ से खाने की छूट मिली तो एक समूह को कांटे चम्मच से खाने को कहा गया। हाथ से खाने वाले समूह ने बताया कि भोजन स्वादिष्ट है जबकि कांटे चम्मच से खाने वाले समूह ने बताया कि भोजन में कुछ खास स्वाद नहीं है।

वैसे तो हमारे दक्षिण भारत में भोजन हाथ से खाने का चलन है लेकिन वह भोजन खाने के लिए थाली का उपयोग नहीं बल्कि केले के पत्ते का उपयोग करते हैं। वहां के रेस्त्रां में भी यह आम चलन है वहां भोजन केले के पत्ते में ही परोसा जाता है। इससे उनकी मान्यता है कि वह प्राकृतिक एंटीऑक्सीडेंट देता है और यह हमें बीमारियों से भी बचाता है। केले के पत्ते पर भोजन करने से हमारे शरीर में कोई रासायनिक तत्व नहीं जाता है जो कि प्लास्टिक के प्लेट या चम्मच से आमतौर पर हमारे शरीर में जाता है।

इन सब तथ्यों से यह सिद्ध होता है कि भारतीय सभ्यता अन्य सभ्यताओं की अपेक्षा में मानव के लिए अत्यंत लाभदायक है हम भारतीयों को अपनी सभ्यता पर गर्व होना चाहिए और हमें कोशिश करना चाहिए कि हम अपने इस सभ्यता को और भी आगे बढ़ाएं क्योंकि हमारी सभ्यता यूं ही नहीं तथ्यों पर आधारित होती है।

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