कभी-कभी व्यक्ति को सारी सुविधाएं मिल जाने के बाद भी सफलता नहीं मिलती और कभी-कभी सुविधाओं के अभाव में भी कोई सफलता में झंडे गाड़ देता है,
जी हां हम बात कर रहे हैं प्रकाश देवासी की, जिनका काम था बकरियां चरा ना, परंतु बकरी चराते चराते जंगल में वह पढ़ाई भी करने लगा और यह प्रकाश अपने नाम के ही अनुसार चमकने भी लगा।
प्रकाश देवासी ने रीट लेवल वन में 146 नंबर हासिल कर प्रदेश भर में छठा स्थान प्राप्त किया।
प्रकाश यह स्थान पाने के लिए करीब 2 से 3 साल तक कठिन परिश्रम किया।
दैनिक भास्कर से बातचीत करते हुए प्रकाश देवासी ने बताया पिछले 3 साल से वह तैयारी में जुटा था परंतु लॉकडाउन में तैयारी करने का उसे अच्छा मौका मिला पिता की मदद के लिए वह बकरियों को लेकर जंगल चला जाता था और इसी दौरान वह अपने संग किताबें भी ले जाता था और वही पढ़ाई भी करता था। उसके अनुसार शांत माहौल में पढ़ाई करने का अनुभव भी अलग होता है उसे सारी तैयारी पुराने पेपर को देखकर की थी इसके अलावा उसने जयपुर में जाकर कोचिंग भी किया था।
प्रकाश देवासी मूल रूप से राजस्थान के पाली जिले के गांव बोयल का रहने वाला है, उसने प्रतिदिन 12 घंटे की पढ़ाई की, वैसे तो उसका टारगेट 135 अंक लगने का था, परंतु उसे रीट वन में छठा स्थान प्राप्त हुआ।