दुनिया का सबसे बड़ा नेकी का काम है भूखों को खाना खिलाना। लॉकडाउन के दौरान लोगों की भूख मिटाने के लिए सस्ते में खाना खिलाया। आज हम आपको एक हम ऐसे शख्स की कहानी बताने वाले हैं जो घर से 500रूपये लेकर निकला था।
इस शख्स का नाम है शिवम सोनी। शिवम सागर का निवासी है।कोरोना के इन दिनों में लॉकडाउन के कारण शिवम् की स्थिति बहुत खराब हो गई ।इस दौरान उन्हें भूखा रहना पडा, घर तक बैचना पड़ा और बिजनेस भी बंद करना पड़ा। मार्च 2020 में शिवम को इंदौर की बस दिखी। उम्मीद और आस के साथ वो इंदौर आ गए।
अगर द क्विंट की रिपोर्ट माने, तो आर्थिक स्थिति शिवम की काफी खराब थी। इसके कारण शिवम को सागर में अपना बिजनेस और घर दोनों बेचना पड़ा।
लॉकडाउन के दौरान उन्होंने लोगों को खाने पीने के लिए परेशानी होते देखा। इसी बात को ध्यान में रखते हुए उन्होने हंगर लंगर की शुरुआत की। हंगरी लंगर के नाम से खुले इस स्टाल में वो 10 रुपये में लोगों को खाना खिलाते हैं। लॉकडाउन के दौरान शिवम ने भोजन के संकट का सामना किया। बस फिर क्या था। वहीं से उन्होंने प्रेरणा लेते हुए गरीबों के लिए कम कीमत पर भोजन कराने के उद्देश्य से ये हंगर-लंगर शुरू किया है।
एक जॉब से 20-30 हजार रुपये जोड़कर इसकी शुरुआत की। यहां वो बिल्कुल कम कीमत पर खाने की चीजें देते हैं। फ्री लंगर भी चलाते हैं। यहां तक कि इसमें ये भी तय किया गया है कि जिसके पास जितना पैसा हो वो उतना दे दे और जिसके पास पैसे नहीं हैं वो फ्री में खाना खा सकता है।
लोगों के लिए कुछ करने की सोची
इसी दौरान उन्होंने लोगों को खाने पीने के लिए परेशानी होते देखा। इसी बात को ध्यान में रखते हुए उन्होने हंगर लंगर की शुरुआत की है।
लॉकडाउन से पहले सागर जिले में ही शिवम का स्टेट 16 नाम से ही एक रेस्टोरेंट और टिफिन सेंटर था। इसमें उन्हें काफी घाटा हुआ। लॉकडाउन के दौरान उन्होंने बड़ी परेशानी झेली। सड़क पर सोए। इसके बाद सिक्योरिटी गार्ड की नौकरी ढूंढी और फिर काम करने लगे। अब वो धीरे-धीरे खुद को सैटल कर रहे हैं। साथ के साथ अब वो लोगों की मदद करने को लेकर भी काम कर रहे हैं
अब वो रोज सुबह साढ़े चार बजे उठते हैं। सब्जी, सामान लेकर आते हैं। फिर खाने की आइटम तैयार करते हैं। इसके बाद लोगों को सर्व करते हैं। इस लंगर को खड़ा करने में उनके भाई, मां, दोस्तों ने बड़ा योगदान दिया है। उनकी मां कहती हैं कि उन्हें इस बात की कोई चिंता नहीं है कि उनका घर बिक गया, बिजनेस बंद हो गया। उन्हे पता है एक दिन उनका बेटा अपनी मेहनत से अपना घर बना लेगा।