दिलीप कुमार, एक ऐसी शख्सियत जिनके बातों को काटने की हिम्मत पाकिस्तान के पूर्व प्रधानमंत्री नवाज शरीफ के पास भी नहीं था।

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दिलीप कुमार यानी युसूफ खान जिनका अभी कुछ दिनों पहले ही इंतकाल हुआ लेकिन क्या आपको पता है भारत के पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी बाजपेयी के बेहद करीब थे। दिलीप कुमार के बोलने के अंदाज के सभी कायल थे और उनमें से एक भारत के पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी बाजपेयी भी हुआ करते थे।

एक समय ऐसा भी था कि प्रधानमंत्री बाजपेयी ने दिलीप कुमार से मदद मांगी और वह तुरंत मदद करने के लिए तैयार हो गए। यह समय था कारगिल के युद्ध का जब पाकिस्तान प्रधानमंत्री नवाज शरीफ को दिलीप कुमार फटकार लगाई।

इस किस्से का जिक्र पाकिस्तान के पूर्व विदेश मंत्री खुर्शीद सईद ने अपनी किताब ‘नाइदर अ हॉक नॉर अ डव’ में किया है. सईद के अनुसार,

एक बार प्रधानमंत्री बाजपेयी ने युद्ध समाप्त करने के लिए नवाब शरीफ को फोन किया और कहा जनाब हम तो लाहौर यात्रा की सोच रहे थे और आपने तो हमें कारगिल युद्ध दे दिया। बाजपेयी जी ने कारगिल युद्ध की कड़ी शब्दों में निंदा की, और इसके बाद उन्होंने दिलीप कुमार को फोन दे दिया। फोन से दिलीप कुमार का आवाज सुनते ही नवाज शरीफ चौंक गए।

दिलीप कुमार ने नवाज शरीफ से कहा, मियां आपसे ऐसी उम्मीद नहीं थी। आप हमेशा कहते हैं कि भारत और पाकिस्तान के बीच शांति चाहते हैं क्या शांति का यह तरीका होता है।

मैं एक भारतीय मुसलमान के तौर पर आपको बताना चाहता हूं कि आपके इस तरीके से हम भारतीय मुसलमान बहुत असुरक्षित हो जाते हैं और हमें घर से बाहर निकलने में कठिनाई होती है। इसलिए स्थिति को काबू में रखने के लिए कुछ कीजिए।

आप हमारे बारे में भी कभी सोच लिया कीजिए कि आपके किए कार्य से हमें कितनी परेशानियों का सामना करना पड़ता है। हम भी आपके ही हैं। इतना कुछ सुनने के बाद भी नवाब शरीफ दिलीप साहब से कुछ भी ना बोल पाए। अटल बिहारी वाजपेयी जब पाकिस्तान की बस यात्रा पर गए थे। उस समय उनके साथ दिलीप कुमार भी गए।

पाकिस्तान सरकार ने दिलीप कुमार को अपना सर्वोच्च सम्मान “निशाने इम्तियाज” से भी नवाजा था। दिलीप कुमार वैसे तो मूल रुप से पाकिस्तान के पेशावर के रहने वाले थे। वहां आज भी दिलीप साहब का घर स्थित है लेकिन पाकिस्तानी हुकूमत की नजर अब उस पर है और उससे पैसे कमाने की सोच रहा है।

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