बांदा एग्रीकल्चर यूनिवर्सिटी में 15 प्रोफेसरों में से 11 ठाकुर जिन्हे नियुक्त दी गयी, मचा बवाल जांच के आदेश जारी

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Up बांदा कृषि विश्वविद्यालय में प्रोफेसर के पद पर नियुक्तियों के लेकर एक बड़ा सवाल खड़ा हो गया है। इस कॉलेज में बड़ी संख्या में एक जाति विशेष के लोगों की नियुक्तियों का मामला सामने आया है, जिसके जाँच के आदेश जारी किय गए है। जानिये क्या है पूरा मामला।

इस पूरी खबर को लेकर बीजेपी के विधायक बृजेश कुमार प्रजापति ने सवाल उठाए हैं, और उन्होंने इसके संबंध में UP के मुख्य मंत्री योगी आदित्यनाथ जी और पीएम मोदी के साथ साथ उत्तर प्रदेश की राज्यपाल आनंदी बेन पटेल को लेटर लिखा है। इस खबर के आने के बाद विपक्ष ने सरकार पर सवाल उठाये है। Banda University of Agriculture and Technology | Banda University

क्या है पूरा मामला?

दैनिक भास्कर की खबर के मुताबिक बांदा कृषि एवं प्रौद्योगिकी विश्वविद्यालय में 20 प्रोफेसर की भर्तियां निकाली थी, जिसके लिए नियुक्तियां की गयी जानी थी। 20 में से 18 सामान्य और दो EWS कोटे की भर्तियां बताई गईं थी | 15 नियुक्तियां की गईं. रिजल्ट एक जून को घोषित किया गया। वर्तमान 15 भर्तियां थी, उनपर 11 पदों पर सामान्य वर्ग की एक ही जाति ‘ठाकुर’ समुदाय के लोगों का चयन किया गया। इस बात से नाराज लोगो ने इन पदों पर सवाल खड़े किये है। बचे चार पदों पर एक ओबीसी, एक अनुसूचित जाति, एक भूमिहार और एक मराठी समुदाय से नियुक्ति की गई है।

BJP विधायक ने लगाया आरोप   

Bjp Mla Letter

15 पदों में से 11 पर सिर्फ ठाकुर समुदाय की भर्ती होने के बाद इस पर विधायक ने आरोप लगाया और इसकी शिकायत उन्होंने उच्च अधिकारियो के साथ साथ मंत्री और सीएम योगी आदित्यनाथ, प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी, राज्यपाल आनंदी बेन पटेल से भी की।

कांग्रेस नेता उदित राज ने इस मामले पर कहा,

”बांदा कृषि एवं प्रौद्योगिकी विश्वविद्यालय ने 15 प्रोफ़ेसर की भर्ती 1 जून को घोषित किया. जिनमें 11 ठाकुर जाति के हैं, जबकि 1 ओबीसी, 1 एससी 1 भूमिहार और 1 मराठी शामिल है. हज़ारों साल से जाति ही मेरिट रही है और अभी चालू है.”

दिए जाँच के आदेश

UP के बांदा कृषि विश्वविद्यालय की भर्ती मामले को देखकर दोनों पार्टियों में खींचातानी का माहौल बना हुआ है। और इस मामले को ज्यादा तूल पकड़ता देख कृषि मंत्री सूय प्रताप शाही ने इस मामले की जांच के आदेश दिए हैं। प्रोफेसर भर्ती मामले में भारत सरकार के National Commission for Backward Classes ने बांदा एग्रीकल्चर यूनिवर्सिटी से भी इसके लिए 7 दिनों के भीतर रिपोर्ट मांगी गयी है।

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