जम्मू-कश्मीर में बकरीद से पहले हुआ जानवरों की कुर्बानी को लेकर हुआ विवाद

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कश्मीर घाट में एक सरकारी चिट्ठी प्रशासनिक अधिकारियों को भेजी गई है जिसमें लिखा है कि 21 जुलाई को आ रही बकरीद पर स्लाॅटर हाउस से बाहर जानवरों की कुर्बानी पर बैन रहना चाहिए। इस चिट्ठी के सामने आते ही मुस्लिम धर्मगुरुओं ने इस पर आपत्ति जताई। प्रशासन की ओर से स्पष्टीकरण जारी हुआ कि जानवरों की कुर्बानी पर कोई बैन लगाने का उनका कोई इरादा नहीं है यह चिट्ठी पर एक रूटीन प्रैक्टिस है।

इस चिट्ठी में गाय,बछड़ेऔर ऊंट जैसे जानवरों की हत्या पर रोक लगाने को भी बताया गया है आगे पशु हिंसा और स्लॉटर हाउस से जुड़े नियम कायदों का भी जिक्र किया गया है।

चिट्ठी में लिखा है बकरीद के मौके पर 21 जुलाई से 23 जुलाई के बीच जम्मू कश्मीर केंद्र शासित प्रदेश में बड़ी संख्या में जानवरों की कुर्बानी दी जा सकती है ऐसे में एनिमल वेलफेयर बोर्ड ऑफ इंडिया की अपील है कि पशु कल्याण से जुड़े नियम सख्ती से लागू की जाए। चिट्ठी के सामने आते ही विवाद शुरू हो गए।

पशु कल्याण विभाग के प्लानिंग डायरेक्टर जीएल शर्मा का कहना है कि यह नियम सिर्फ नगर पालिका में है ग्रामीण क्षेत्रों में लोग कहीं भी कुर्बानी दे सकते हैं।

वहीं दूसरी तरफ मीरवाइज उमर फारूक के संगठन एमएमयू का कहना है कि इस तरह की पाबंदियां पूरी तरह अस्वीकार है, और वह इस बात से हैरान हैं कि बकरीद जैसे पर्व पर जानवरों की कुर्बानी को कोई गलत कैसे ठहरा सकता है। बकरीद के दिन हर साल लाखों बकरों की कुर्बानी दी जाती है।

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