हम सब अपने घरो में सुकून से सिर्फ और सिर्फ उन सैनिको की वजह से रहते है जो हमारे देश के बॉर्डर पर तैनात रहते है। सैनिक हमारी रक्षा के लिए 24 घंटे तैनात रहते है। बहुत से सैनिक हमारे सुरक्षा के लिए दुश्मन से लड़ते-लड़ते शहीद हो जाते है। पर आपने कभी यह सुना है की कोई सैनिक शहीद होने के बाद भी अपनी ड्यूटी कर सकता है क्या सैनिक की आत्मा अपना कर्तव्य निभाते हुए देश की सीमा की रक्षा कर सकती है। यह सब पढ़ने में आपको अजीब जरूर लगेग। लेकिन आपकी जानकारी के लिए बता दे सिक्किम राज्य में एक जगह है नाथूला दर्रा अगर आप यहां के लोगों से पूछेंगे कि क्या ऐसा हो सकता है तो वह कहेंगे हां ऐसा हो सकता है।
आपको बता दे कप्तान बाबा हरभजन सिंह भारतीय सेना के एक वीर सैनिक थे। भारतीय सेना के जवान उन्हें ‘नाथुला के नायक’ के रूप में याद करते हैं और उन्होने उनके सम्मान में एक मन्दिर भी बनाया है। इतना ही नहीं उन्हें बाबा की उपाधि भी प्राप्त है। बाबा हरभजन एक वीर जवान हैं जो शहीद होकर भी देश की सेवा कर रहे है। आपको बता दे बाबा हरभजन का जन्म 30 अगस्त 1946 को गुजरांवाला जिले (वर्तमान पाकिस्तान) में के सद्राना गांव में हुआ था। उन्होंने अपनी पढ़ाई पूरी करने के बाद भारतीय सेना का हिस्सा बने थे। आपको बता दे 9 फरवरी 1966 को बाबा हरभजन भारतीय सेना के पंजाब रेजीमेंट में भर्ती हुए थे।
बताते चले 4 अक्टूबर 1968 में वो 23 वें पंजाब रेजिमेंट के साथ पूर्वी सिक्किम में सेवारत थे। उस दिन घोड़ों का काफिला ले जाते वक्त पूर्वी सिक्किम के नाथूला के पास उनका पांव फिसल गया और वह घाटी में गिर गए, जिसकी वजह से उनकी मृत्यु हो गई। इस दौरान भारतीय सेना ने एक जवान खो दिया। और वहा के लोगो का कहना है आज भी उनकी आत्मा देश की सरहद पर तैनात है और देश की हिफाज़त करती है। लोगो का यह भीं कहना है कि उन्होंने अपने साथी सैनिक के सपने में आकर अपने शरीर के बारे में जानकारी दी। खोजबीन करने पर तीन दिन बाद भारतीय सेना को बाबा हरभजन सिंह का पार्थिव शरीर राइफल के साथ उसी जगह मिल गया जहां उनके साथी सैनिक के सपने में बताया गया था।
कहा जाता है कि सपने में बाबा हरभजन सिंह ने साथी सैनिक से इच्छा जाहिर की थी कि उनकी समाधि बनाई जाये। उनकी इच्छा का मान रखते हुए उनकी एक समाधि भी बनवाई गई है। यह जगह कुछ सालों बाद एक नए मंदिर के रूप में परिवर्तित हो गई आपको बता दें कि यहां पर दर्शन करने के लिए हर साल हजारों लोगो की भीड़ जमा होती है। बाबा हरभजन सिंह को समर्पित इस मंदिर में उनके जूते और वर्दी आज भी रखी है।
बताते चले नाथूला के लोगों का यह मानना है कि शहीद होने के बाद से ही बाबा हरभजन की आत्मा भारत चीन सीमा की रक्षा करती है कई बार तो वह चीन की घुसपैठ के बारे में अपने साथियों को सतर्क कर चुके हैं। मीडिया रिपोर्ट से मिली जानकारी के मुताबिक अगर आज बाबा हरभजन सिंह जिंदा होते तो वह रिटायर हो चुके होते उन्हें अब केवल पेंशन दी जाती है। उनकी मौत को कई साल हो चुके हैं लेकिन आज भी बाबा हरभजन सिंह की आत्मा भारतीय सेना में अपना कर्तव्य निभा रही है। बाबा हरभजन सिंह को नाथूला का हीरो भी कहा जाता है।
आज भी सबकी तरह उन्हें छुट्टी मिलती है
बाबा हरभजन सिंह तो शाहिद हो गए लेकिन देश की सेवा में वो आज भी कार्यरत हैं उन्हें भी बाकी लोगों की तरह छुट्टी मिलती है या मुश्किल हालात में उनकी छुट्टी भी रद्द की जाती है दरअसल जब उन्हें सबकी तरह छुट्टी मिलती है कुछ जवान मिलके बाबा हरभजन सिंह के सामानों को उनके घर तक पहुचाने जाते हैं. उनके सामान का आना जाना होता है
कैप्टन बाबा हरभजन सिंह पर एक शार्ट फ़िल्म भी बनाई गई है जिसमे बाबा हरभजन सिंह की भूमिका को “भुअन बम” ने निभाया है फ़िल्म में दिव्या दत्ता मुख्य किरदार में नज़र आएंगे फ़िल्म plus minus के नाम से बनाई गई थी जिसका लेखन-निर्देशन किया ज्योति कपूर दास ने.