भारत अनेक इमारतों के लिए बेहद प्रसिद्ध है। जो दिखने में तो बहुत ही सुंदर और आकर्षक है। लेकिन उनसे जुड़ी कहानियां उससे भी अधिक आकर्षित कर देने वाली होती हैं। जो कई बार आपको सोचने या फिर हंसने पर मजबूर भी कर देते हैं। ऐसी ही एक कहानी है, इटावा में स्थित एक मकबरे की जहां पर लोग अपनी मन्नत तो मांगते हैं और मन्नत पूरी होने पर लोग उस मकबरे में फूल या माला नहीं बल्कि जूते-चप्पल की भेंट लगाते हैं।
इस मकबरे का नाम भी बहुत ही अतरंगा और अजीब है। इस मकबरे का नाम चुगल खोर का मकबरा है। नाम से ही स्पष्ट है कि इस मकबरे को किसी चुगल खोर शख्स ने ही बनाया होगा। करीब 500 वर्ष पहले की बात है, जब उत्तर प्रदेश के इटावा में भोलू सैय्यद नाम का एक व्यक्ति रहता था। भोलू ने एक बार इटावा के राजा से अटेरी के राजा की चुगली कर दी थी और कहा था कि पटेरी के राजा के मन में आपके प्रति अच्छी भावना नहीं है। वह आपको बिल्कुल भी पसंद नहीं करते हैं ।
इससे शक और तनाव में आकर इटावा के राजा ने अटेरी के राजा पर आक्रमण कर दिया लेकिन बाद में इटावा के राजा को पता चला कि भोलू ने उनके कान भरे हैं और इटावा के राजा की चुगली की है, तो राजा अत्यंत क्रोधित हो गए और उन्होंने भोलू को चुगल खोरी करने के लिए बहुत बड़ी सजा सुनाई।
उन्होंने आदेश दिया कि भोलू को तब तक जूते चप्पलों से मारा जाए, जब तक की उसकी मृत्यु ना हो जाए। तभी इस मकबरे का नाम चुगल खोरी का मकबरा पड़ा है और यह प्रथा 500 वर्ष से ही चली आ रही है। इसी कारण लोग इस मकबरे में जूते चप्पल मारते हैं। इस मकबरे में किसी ने मन्नत मांगी हो और वह पूरी हो जाए तो लोग फूल और चादर की जगह जूते-चप्पल बरसा कर चले जाते हैं। अगर कहा जाए तो चुगल खोरी की पूरे दुनिया में सबसे बड़ी सजा यही होगी।