उस जमाने में महंगे महंगे ब्यूटी प्रोडक्ट नहीं हुआ करते थे लेकिन आज के समय में खूबसूरती को बढ़ाने के लिए बहुत सारे ब्यूटी प्रोडक्ट्स हैं
पुराने जमाने में भी औरतें अपनी खूबसूरती को बढ़ाने के लिए बहुत सारे साधनों का उपयोग करती थी आइए जानते हैं ऐसे ही कुछ उस जमाने के उपयोगी खूबसूरती को बढ़ाने वाले प्रोडक्ट
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1920 के दशक में पोर्टेबल हेयर ड्रायर आया था जो बाल को सुखाने के लिए था लेकिन उस समय के भारी हेयर ड्राई की जगह एक सुविधाजनक विकल्प नहीं था क्योंकि उस समय यह बहुत ही खतरनाक हुआ करता था जिससे जलने, करंट लगने और मौत होने की संभावना भी बनी रहती थी।
2-
एक्स रे मशीन के अविष्कार के कुछ समय बाद लोगों ने इस मशीन का इस्तेमाल मुहांसे, एग्जिमा और बालों को हटाने के लिए करने लगे। जिसका दुष्प्रभाव यह हुआ कि इसके इस्तेमाल करने वाले लोगों को कैंसर होने लगा।
3-
ग्रीस में आईब्रो को पवित्रता और बुद्धिमत्ता का प्रतीक माना जाता था।जिसके अनुसार महिलाओं की आईब्रो बीच में मिली नहीं थी वह काले पाउडर से आइब्रो के बीच वाले हिस्से को काला कर लेती थी। जबकि अन्य महिलाएं बकरी के बालों से बनी नकली आइब्रो लगाती थी।
4-
अट्ठारह सौ के दशक में पलकों को ट्रांसप्लांट करना बहुत जोरों शोरों पर था इसके चलते विशेषज्ञों ने एक तरकीब निकाली और बालों को सीधे एक पतली स्कूल के जरिए पलकों में लगाने की शुरुआत की।
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1400 में इतालवी औरतें पतला होंठ चाहतीं थीं जो वहां बहुत ही कम होते थे। इसलिए पेंटिंग बनाते समय महिलाएं अपने होठों को ज्यादा हाईलाइट नहीं करवाती थी।
6-
प्राचीन रोम में महिलाएं ग्लेडियेटर्स के पसीने से बने हुए राइडर को चेहरे पर लगाते थे। इसके चलते लड़ाई के बाद मरे हुए ग्लेडियेटर्स के पसीने को बेचा जाता था।
7-
डिंपल मेकअप का आविष्कार इसमें मशीन में दो सर्किल होते थे। जिससे चेहरे पर डिंपल बनाने की कोशिश की जाती हालांकि यह मशीन कारगर सिद्ध नहीं हुआ।
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जापान में अविवाहित महिलाओं की सुंदरता की निशानी काले दांत को मानी जाती थी। लोगों का मानना था कि काले दांत बुढ़ापे तक सुरक्षित रहते हैं। लेकिन अब इस प्रथा पर बैन लग गया है।
9-
फ्रांस में अपने आपको गुस्से में दिखाने के लिए अपने नसों को नीले रंग के पेंसिल से रंग देते थे। इसके अलावा बहुत से लोग नसों को उत्तेजित दिखाने के लिए लीज का प्रयोग करते थे।
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हेयर स्प्रे के अविष्कार से पहले महिलाएं अपने विग लगाने के लिए सूअर की चर्बी का इस्तेमाल करती थी।
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रूम के निवासी अपने दांतों को सफेद रखने के लिए पुर्तगाल से भेजे गए पेशाब का इस्तेमाल करते थे।
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मध्ययुग में महिलाओं के चेहरे का सबसे खूबसूरत हिस्सा उनका माथा माना जाता था इसे सुंदर दिखने के लिए हेयरलाइन और पलकें हटवा दी जाती थी।
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1920 के दशक के बीच में Coco Chanel के French Riviera पर एक Yatch में फ़ोटोशूट कराने के बाद कांस्य और धूप से प्रभावित हुआ रंग चर्चित हो गया. तब से सनटैन उन लोगों का स्टेटस सिंबल बन चुका था, जो गर्मियों की छुट्टी का ख़र्चा उठा सकते थे.
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19वीं सदी में महिलाएं गोरा होने के लिए Arsenic Wafers खाती थी। जो शरीर के लिए बहुत ही खराब होता है इसके दुष्प्रभाव से कैंसर गंजापन जैसी बीमारियां होने लगी।