पिछले 11 जुलाई को केंद्रीय गृहमंत्री अमित शाह अपने संसदीय क्षेत्र के दौरे पर पहुंचे. विकास कार्यों का जायज़ा लेने और कुछ नए प्रोजेक्ट्स की आधारशिला रखने के लिए. इस दौरान अमित शाह ने अहमदाबाद के वेजलपुर इलाके में एक कम्युनिटी हॉल का उद्घाटन किया. पर कम्युनिटी हॉल के उद्घाटन से कहीं अधिक चर्चा एक दूसरी खबर की हुई. यह खबर अहमदाबाद पुलिस के एक आदेश से जुड़ी थी.
दरअसल, अमित शाह के दौरे से पहले अहमदाबाद पुलिस ने वेजलपुर में ‘स्वामीनारायण और स्वाति अपार्टमेंट’ सहित कई सोसाइटीज के चेयरमेन को एक आदेश दिया. इंडिया टुडे से जुड़ी ‘गोपी घांघर’ की रिपोर्ट के मुताबिक, पुलिस ने अपने आदेश में कहा कि अमित शाह के पास जेड प्लस सिक्योरिटी है और वे वीआईपी हैं. ऐसे में उनके आने पर घरों के दरवाजे और खिड़कियां बंद रखी जाएं. हालांकि, पुलिस ने ऐसा ना करने पर किसी कार्रवाई की बात नहीं कही. रिपोर्ट के मुताबिक पुलिस ने कहा कि दरवाजे और खिड़िकियां सुबह 10 बजे से दोपहर एक बजे तक बंद रहने चाहिए.
क्या हम अब तानाशाही में जी रहे हैं?
पुलिस के इसी आदेश का वेजलपुर में रहने वाली एक महिला ने विरोध किया. आदेश के विरोध में महिला ने पुलिस को एक लंबा ईमेल लिखा. महिला का नाम ‘पंक्ति जोग’ है. वाइब्स ऑफ इंडिया की रिपोर्ट के मुताबिक, जोग ने सवाल किया कि क्या हम किसी तानाशाही या सामंतवादी राज में रह रहे हैं?. उन्होंने पूछा कि क्या मंत्री कोई राजा हैं और आम लोगों को लोकतांत्रिक मूल्यों की कोई वैल्यू नहीं है? क्या जनता को प्रजा की तरह उनके आदेशों का पालन करना पड़ेगा.
वाइब्स ऑफ इंडिया ने अपनी एक रिपोर्ट में बताया है कि यह आदेश पूरी तरह से अहमदाबाद पुलिस ने जारी किया था, अमित शाह की सिक्योरिटी टीम की तरफ से ऐसा कुछ भी करने को नहीं कहा गया था. रिपोर्ट के मुताबिक, जब अहमदाबाद पुलिस ने यह आदेश जारी किया, तो वेजलपुर की अलग-अलग हाउजिंग सोसाइटीज के चेयरमैन यह सुनिश्चित करने लगे कि आदेश का कड़ाई से पालन हो. इस बात से पंक्ति जोग परेशान हो गईं.
रिपोर्ट के मुताबिक पंक्ति जोग बचपन से ही अस्थमा की मरीज हैं और अगर उन्हें ताजी हवा ना मिले तो उनकी हालत बिगड़ने लगती है. ऐसे में उन्होंने साहिबगंज के पुलिस कमिश्नर को मेल लिख डाला. उन्होंने पूछा,
“आज सरकार मुझसे खिड़कियां बंद करने के लिए कहेगी. आखिर सरकार यह कैसे तय कर सकती है? आज बात खिड़कियों की है, कल को सरकार तय करेगी कि मैं क्या खाऊं और कहां जाऊं.”
उन्होंने आगे लिखा,
“एक और जरूरी बात है कि सांसद, विधायक और मंत्री भगवान नहीं हैं. वो दस हाथों वाले राक्षस हैं, जिनके बारे में हमने पुराणों में पढ़ा है. उनसे डरने और उनके सामने बिछ जाने की जरा सी भी जरूरत नहीं हैं. नेता जनता के सेवक हैं, जनप्रतिनिधि हैं. लोगों के प्रति उनकी जवाबदेही है. उन्हें हमें जवाब देना ही पड़ेगा.”
सबसे खतरनाक होता है, मुर्दा शांति से भर जाना
पंक्ति जोग एक ‘RTI एक्टिविस्ट’ भी हैं. इस संबंध में उन्होंने फेसबुक पर भी एक पोस्ट डाली. उन्होंने लिखा कि सरकारी नियमों और राजनीतिक कार्यकर्ताओं के दबाव से भी ज्यादा चिंता की बात यह है कि हम नेताओं और अधिकारियों से डरते हैं और बिना सवाल पूछे उनकी हर बात मान लेते हैं.
वाइब्स ऑफ इंडिया की रिपोर्ट के मुताबिक पंक्ति ने यह भी लिखा कि वेजलपुर इलाके में करीब ‘डेढ़ हजार कर्मचारी’ हैं. उन्हें तीन दिन तक काम बंद रखना पड़ेगा. उनके नुकसान की भरपाई कौन करेगा? इस बीच अहमदाबाद पुलिस कमिश्रर का एक बयान भी सामने आया. उन्होंने स्थानीय पुलिस पर नाराजगी जताई है. उन्होंने कहा कि इस तरह का आदेश जारी करने वाले पुलिस अधिकारियों पर कार्रवाई की जाएगी.
पंक्ति जोग ने सवाल भी पूछा कि आम लोग आखिर कब तक अपने मूल अधिकारों और आजादी के लिए भीख मांगते रहेंगे?