जैसा कि आप जानते हैं कि बिना संघर्ष के हम कुछ भी हासिल नहीं कर सकते हैं। जीवन का दूसरा नाम ही संघर्ष है अगर आपको इस जीवन में कुछ बड़ा करना है तो अपनी गलतियों से सीखे एवं अपनी कमजोरियों को अपनी ताकत बना ले तो सफलता जरूर मिलेगी। आज हम ऐसे ही एक शख्स के बारे में जानेंगे जिन्होंने अपने कठिन समय में बिना धैर्य खोए अपनी कड़ी मेहनत और लगन से आज अरबों का साम्राज्य खड़ा किया है।
हम जिस शख्स की बात करने जा रहे हैं वह और कोई नहीं बल्कि रियल एस्टेट टाइकून मुक्ति ग्रुप के संस्थापक राजकुमार गुप्ता है, जो कभी महीने के ₹60 से घर का खर्च चलाने के लिए परेशान थे। लेकिन आज वह अरबों के मालिक बन चुका है। जिन्होंने संघर्षों से हारना नहीं सीखा और जीवन में आए मुश्किलों का सामना करके आज इतने बड़े आदमी बन चुके हैं जिनके बारे में सारी दुनिया जानती है।
कौन है राजकुमार गुप्ता
राजकुमार गुप्ता का जन्म पंजाब के एक गरीब परिवार में हुआ था उनके घर की स्थिति ठीक नहीं होने के कारण उन्हें प्रारंभिक शिक्षा प्राप्त करने में बहुत कठिनाइयों का सामना करना पड़ा । एक इंटरव्यू में राजकुमार गुप्ता ने बताया कि पढ़ाई पूरी होने के बाद उन्होंने एक निजी संस्था में मात्र 60 रूपये महीने का तनख्वाह पर नौकरी शुरू की। कुछ साल बाद उन्होंने हिंदुस्तान मोटर्स ने काम किया जहां उनकी तनख्वाह में बहुत ही ज्यादा इजाफा हुआ और उन्हें व्यापार के उतार-चढ़ाव सीखने का मौका मिला।
व्यापार के उतार-चढ़ाव को सीखने के बाद राजकुमार गुप्ता ने अपने तजुर्बे और अपने सेविंग के कुछ पैसों से अपना छोटा सा व्यापार शुरु किया कड़ी मेहनत और कुछ कर गुजरने की इच्छा शक्ति से उस छोटे व्यापार ने एक बड़ा रूप ले लिया और फिर मुक्ति ग्रुप के नींंव पड़ी। साल 1984 में उन्होंने पश्चिम बंगाल के हुगली जिले में अपना पहला आभासी अपार्टमेंट लॉन्च किया।
राजकुमार गुप्ता ने आधुनिक वास्तुकला के विचारों के फलस्वरूप बहुमंजिला निवासों का विचार भी लेकर आए। तभी से मुक्ति ग्रुप बंगाल में इंटरटेनमेंट,मल्टीप्लेक्स, इंटरनेशनल होटल, लाउंज, फाइन डाइन रेस्टोरेंट के साथ नाम से उभरा और रियल एस्टेट क्षेत्र में नवीन आयाम स्थापित किया। राजकुमार ने इतनी सफलता हासिल की लेकिन उसके बाद भी उनके मन में परोपकार की भावना विद्यमान है जो उन्हें और आगे जाने की प्रेरणा देती है।
राजकुमार रेलवे स्टेशन पर स्वच्छ पानी की व्यवस्था की ताकि यात्रियों को स्वच्छ पानी मिल सके। ऐसे ही जनहित कार्य को राजकुमार लगातार करने लगे उन्होंने गरीबों के लिए मुफ्त दवा खाना खोला एक समय ऐसा भी आया जब उन्हें आर्थिक नुकसान भी हुआ लेकिन परोपकार की भावना के कारण उन्हें कोई फर्क नहीं पड़ा। वे समाज सेवा करते रहे। राजकुमार का ओहदा बड़ा होने के साथ उनका संपर्क अच्छे और प्रतिष्ठित लोगों से होता चला गया लोग उनके विचारों से प्रभावित होकर उनका सहयोग करने लगे। जिस समय एशिया में एयरलाइन सेक्टर की शुरुआत हो रही थी राजकुमार उसका हिस्सा बनना चाहते थे। उन्होंने अपनी कंपनी शुरू करने की योजना बनाई लेकिन इस विषय में उन्हें जानकारी का अभाव था फिर भी उन्होंने लाइसेंस लेने के लिए उड्डयन मंंत्री से मुलाकात की लेकिन संयुक्त सचिव ने कहा कि वे ऐसे आदमी को लाइसेंस नहीं देंगे जिसके पास आवश्यक तकनीकी प्रशिक्षण और अन्य मापदंड नहीं है। राजकुमार ने श्री मिश्रा जी से कहा मेरे पास इनमें से कुछ नहीं है लेकिन मैं एक अच्छा उद्यमी हूं। इसके लिए मैं दूसरों को ले सकता हूं और फाइनेंस की व्यवस्था कर सकता हूं।
राजकुमार के हौसले से प्रभावित होकर उन्हें लाइसेंस प्राप्त हुआ। जब वे एयरलाइंस शुरू करने वाले थे तभी हर्षद मेहता घोटाला ने राष्ट्र को हिला कर रख दिया देश की अर्थव्यवस्था में हलचल मच गई और निवेशकों ने एयरलाइंस जैसे जोखिम उद्यम को करने से मना कर दिया। राजकुमार ने फिर भी अपने हिम्मत को नहीं छोड़ा और अपनी इस कठिन समय में भी जीवन की परीक्षा से सीख ली और मुक्ति एयरवेज को वास्तविक रूप देने का प्रण किया और आज भी उस पर कार्यरत है। राजकुमार अपने जीवन में आए अनगिनत संघर्षों से लड़कर सफलता के कदम चुनते हुए आगे ही बढ़ते जा रहे हैं। कहते है न कि नेक इरादे से किया गया कोई भी काम कभी भी दुख नहीं देता। सलाम है ऐसे कर्तव्यनिष्ठ और परोपकारी शख्सियत को जिन्होंने अपने साथ समाज और देश के हित के लिए कार्य किया।